श्री राम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ने गुरुवार को ट्वीट कर राम मंदिर के निर्माण होने की जानकारी दी और इंजीनियर्स के द्वारा इस स्थल पर मिट्टी का परिक्षण किया जा रहा है ये भी जानकारी दी गयी है। बताया जा रहा है की मंदिर के निर्माण में प्राचीन और पारंपरिक निर्माण तकनीकों का पालन किया जाएगा और मंदिर को इस तरीके से बनाया जाएगा जिससे की प्राकृतिक आपदाओं का कोई असर नहीं होगा।
ट्रस्ट ने ट्वीट में कहा की मंदिर के निर्माण में लोहे का कोई प्रयोग नहीं किया जाएगा। मंदिर निर्माण में तांबे की प्लेटें 18 इंच लंबी, 30 मिमी चौड़ी और 3 मिमी गहराई में होगी। निर्माण में कुल 10,000 ऐसी प्लेटों की अवश्यकता होगी। हम श्री राम के भक्तों से ट्रस्ट को ऐसी प्लेटें दान करने के लिए निवेदन करते हैं।
श्री राम जन्मभमि तीर्थ ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने जानकारी दी की अनौपचारिक बैठक में सी आरबीआई रुड़की और आईआईटी मद्रास का पूरा सहयोग लिया जा रहा है, कुल 12 जगह पर 60 मीटर गहराई तक जाँच की गयी फिर उसके बाद इस आधार पर भूकंप की जाँच हुई।
उन्होंने कहा की 30 से 35 मीटर नीचे से नींव लानी पड़ेगी और 1 मीटर व्यास के गोल आकार में लानी पड़ेगी। लगभग तीन एकड़ में ऐसे कम से कम 1200 बिंदु (खम्बे) होंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 5 अगस्त को राम जन्मभूमि स्थल पर ‘भूमि पूजन’ में सम्मिलित हुए थे। इसके अलावा, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत सहित कई अन्य लोग भी इस कार्यक्रम में मौजूद थे ।
देशवासियों का सालों का इंतज़ार खत्म हो चुका है। अब राम मंदिर का भव्य निर्माण शुरु हो चुका है। अब सवाल ये है की क्या इसके बाद अब ये मुद्दा खत्म होगा? या दो धर्मों के बीच अभी भी विवाद बना रहेगा।