बेंगलुरु में 11 अगस्त की रात को हुए दंगों की जब जांच की गई तो एक चौंकाने वाला सच सामने आया। जांच में यह पता लगा है कि दंगे में शामिल कम से कम 40 आरोपी आतंकी संगठनों से जुड़े थे। इन आरोपियों के कुछ आतंकवादियों के साथ कनेक्शन नजर आए हैं। 2016 में आरएसएस कार्यकर्ता रूद्रेश की हत्या, 2014 में चर्च स्ट्रीट विस्फोट और 2013 में मल्लेश्वरम में भाजपा कार्यालय विस्फोट के दौरान जिन आतंकवादियों को गिरफ्तार किया गया है। बेंगलुरु दंगे के आरोपियों की इन आतंकवादियों के साथ कनेक्शन नजर आए हैं।
पुलिस को यह सारी खबरें समीउद्दीन से पूछताछ के दौरान पता चली है। बेंगलुरु दंगों के आरोप में समीउद्दीन को गिरफ्तार कर लिया गया था। जांच करने के बाद पता चला कि समीउद्दीन आतंकवादियों से मिलने कई बार जेल भी गया है। पुलिस गिरफ्तार किए गए सभी आरोपियों में से 27 आरोपियों की कॉल रिकॉर्ड को चेक करेगी। इन 27 आरोपीयों के बेंगलुरु दंगे में बड़ा हाथ हो सकता है।
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पुलिस अभी मुख्य अपराधी की तलाश में है। मुदस्सिर नाम का एक युवक मुख्य अपराधी है। इसने ही सबसे पहले फेसबुक पर पोस्ट की और मुसलमानों को पुलिस स्टेशन के पास इकट्ठा होने की अपील भी की थी। फिलहाल वह फरार है। पुलिस को दंगों का कारण पुलिस की छानबीन में यह पता लग पाया था कि विधायक श्रीनिवास मूर्ति के रिश्तेदार की पोस्ट की वजह से दंगे फैले थे।
परंतु अब अगर आरोपियों के कनेक्शन आतंकवादियों से जुड़े हुए मिल रहे हैं ,तो इसका मतलब यह है कि बेंगलुरु दंगे सोची समझी चाल थी। विधायक के रिश्तेदार की पोस्ट को सिर्फ एक मोहरा बनाया गया था। पोस्ट की वजह से मुसलमानों को दंगों को करने का एक बहाना मिल गया था। दंगों के पीछे का असल मकसद तो कुछ और ही था। पुलिस अभी मुदस्सिर की तलाश में है। उसके मिलने पर ही यह पता लग सकता है कि क्या दंगे वाकई में पोस्ट की वजह से हुए थे या इसके पीछे आतंकवादियों का हाथ था।
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