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निरंतर नारायण
आदिपुरूष के बायकॉट अभियान को वामपंथियों और सेकुलर गिरोह ने हाइजैक कर लिया है।भजन मंडली के कट्टर झट्टरों के नाक के नीचे से पूरा तंबू खींच लिया है और रावण को राम से बड़ा बनाने की हजारों साल की उनकी लालसा पूरी हो गई है।
अब भजन मंडली का हर तबलची रावण त्रिपुंड धारी था गाता फिर रहा है और कीर्तन के बोल हैं…रावण शिवभक्त था, रावण बलशाली था।
रावण ही वह आचार्य था जिसने श्री राम के रामेश्वरम के शिवलिंग की स्थापना की पूजा कराई थी और लंका विजय का आशीर्वाद दिया था।
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रावण चरित्रवान था। रावण महान था। अब तो डर है कि कट्टर झट्टरों की टोली कल से हैशटैग न चलाने लगे कि राममंदिर की तरह भव्य रावण मंदिर बने नहीं तो मोदी की खैर नहीं। अब ये क्या खाक बायकॉट करेंगे?
अब तो इन्हें रावण को राम से बड़ा बनाने का टास्क मिल गया है। किस मुंह से ओसामा और जवाहिरी की आलोचना करोगे? वे दोनों भी पढे लिखे इंजीनियर वैज्ञानिक थे। डाक्टर ज़ाकिर नाइक भी पढ़ा लिखा है! रावण विद्वान था तो हम भूल जांऐ कि उसने सीता माता का अपहरण किया था ?