- निरंतर नारायण
ऐसे भी कोई जाता है राजू श्रीवास्तव जी? जब हम सब आपके फिर से उठ खड़े होने और ठहाके लगाने वाली अदा को फिर से देखने की आशा लिए दुआएं कर रहे थे तब आपने आंखें मूंद लीं।
ये ठीक नहीं है गजोधर भाई ! हमारी भाषा में हमें हंसाने वाले राजू श्रीवास्तव आपका जाना खल गया जब आप आडियंस को देखते हुए कहते थे कि मज़ाक ही मजाक में अच्छी भीड़ जमा हो गई तो बरबस हंसी आ जाती थी।
पितृपक्ष 2022 : आइए पितरों ! स्वीकारिए श्रद्धा और अन्नजल
ना गंदे जोक्स, ना फ़ूहड़ अश्लील हरकतें, ना गाली गलौज विशुद्ध भदेस गंवई अंदाज में आम आदमी की कहानी कहने वाले जादूगर….आप बहुत याद आ रहे है।
अमिताभ बच्चन और लालू यादव की मिमिक्री को आपने अमर कर दिया है। अब भगवान के दरबार में ठहाके गूंज रहे होंगे।