विश्व भुखमरी सूचकांक का एजेंडा वाला चरित्र

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  • अमित सिंघल


चूंकि कांग्रेसी बहुत शोर मचा रहे हैं कि भुखमरी सूचकांक के अनुसार भारत में नेपाल, पाकिस्तान, बांग्लादेश एवं म्यांमार की तुलना में अधिक भुखमरी है। अतः मैंने सोचा कि वर्ष 2013 के भुखमरी सूचकांक में इन सभी राष्ट्रों की तुलना में भारत में अधिक भुखमरी होगी।
आश्चर्य!

2013 के भुखमरी सूचकांक में भी भारत में नेपाल, पाकिस्तान, बांग्लादेश एवं म्यांमार की तुलना में अधिक भुखमरी थी। लेकिन समाचार यह नहीं है।

समाचार यह है कि भुखमरी सूचकांक पहली बार वर्ष 2006 में प्रकाशित हुआ था। तब सूचकांक के अनुसार बांग्लादेश में भारत से अधिक भुखमरी थी। सोनिया के शासन में भारत में भुखमरी इतनी बढ़ गयी थी कि बांग्लादेश हमसे आगे निकल गया।


दिवाली की रात को लक्ष्मी जी हमारे घर आती हैं

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फिर भी, मैं इस सूचकांक को किसी पूर्व-निर्धारित एजेंडा को आगे बढ़ाने के एक टूल के रूप में मानता हूँ। कारण यह है कि नेपाल, पाकिस्तान, बांग्लादेश एवं म्यांमार के लोग एक ऐसे देश में अवैध रूप से क्यों आना चाहते है जहाँ उनसे अधिक भुखमरी है ? यही एक प्रश्न इस सूचकांक के एजेंडे को उजागर कर देगा।

जानकार लोगों को अच्छी तरह से पता है कि यह सूचकांक कैसे बनते हैं और इनका पोलिटिकल एजेंडा क्या है। भारत के सन्दर्भ में दो NGO द्वारा बनाए जाने वाले भुखमरी इंडेक्स इत्यादि का एजेंडा भी क्लियर है। इससे अधिक नहीं लिख सकता।

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