नमस्कार साथियो।
जिस प्रकार से विदित हो कि पिछले 2 सालों से इलाहाबाद विश्वविद्यालय में अनियमितताएं अपने चरम अवस्था पर विराजमान है,ठीक उसी परिपाटी को आत्मसात कर जिला प्रशासन ने आज साधारणतः अध्यन करने वाले 7 छात्रों पर गैंगस्टर ऐक्ट जैसी बड़ी कर्र्यवाई की है।
इसे जिला प्रशासन का मानसिक दिवालियापन कहे या विश्वविद्यालय प्रशासन का निकम्मापन?
प्रथम दृष्टया तो समूचा प्रकरण ही निराधार ताना बाना ओर सिला गया,,ततपश्चात निर्दोष छात्रों को पूर्व में ही 1 महीने से ज्यादा की जेल भेज कर प्रशासन ने अपना मत स्पष्ठ कर दिया था कि प्रारम्भ से ही जिला प्रशासन इस प्रकरण को पूर्णतः राजनीतिक दबाव से कारित कर रहा है।
निष्पक्षता से अध्यन करने पर विवश हुआ जाए तो निर्दोष छात्रों पर एकतरफा कर्र्यवाई एवम व्यापरी वर्ग के दबाव में कार्य न करते हुए छात्रों के हक हुकुम और नैतिक अधिकार को जीवित रखते हुए न्यायसंगत फैसला सुनिश्चित करना लोकतंत्र एवम न्याय प्रणाली की प्राथमिकता होनी चाहिए।
आभार,,,,विनायक