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रामस्वरूप सोलंकी
इस वल्ड कप में भारत सभी प्रतिभागियों को हराकर फाइनल में प्रवेश किया । नो टीमों ने भी जिसमें न्युजीलैंड दौ बार सेमीफाइनल में भी तो क्या वो जब हारी तो उनके देश व उनके खिलाड़ियों को भी बहुत ठेस पहुंची होगी।
पाकिस्तान , दक्षिण अफ्रीका इंग्लैंड स्वयं आस्ट्रेलिया श्री लंका जैसे वर्ल्ड कप जीतने वाली भी वो टीमें इस बार भारत के सामने नहीं टिक पाई। सबकुछ हमारे बस में तथा हमारे खिलाड़ियों के बस में तथा उनकी सोच व चाहत अनुसार हमेशा नहीं होता है।
कभी न कभी ये सभी टीमें फाइनल व सेमीफाइनल तक पहुंच कर भी हारी है स्वयं आस्ट्रेलिया भी अब देखो दो बार की विश्व कप विजेता वेस्ट इंडीज भी इस विश्व कप में नजर नहीं आई उसको भी नयी अभी क्रिकेट सीख रही टीमों ने बाहर कर दिया मतलब क्वालीफाई भी नहीं कर पाये। तो क्या वो टीम ऐसी वैसी थी यह सब नियति का खेल है। आज हम हारे तो क्या हुआ हम नियति से हारे न कि क्रिकेट से हारे उसमें तो हम अब अवल है।
तथा अगले विश्वकप तक अव्वल ही रहेंगे क्योंकि हमको अगले विश्वकप क्रिकेट खेलने के लिए क्वालीफाई नहीं करना पड़ेगा सीधा ही उसमें पहला मैच हमारा किसी टीम से होगा उस वक्त यह चेहरे में कोई एक दो होगा कि नहीं टोटली या अधिकांशतः नये चेहरे खेलने को वो देखने को मिलेंगे हम में से टीवी दर्शक होगे या नहीं होंगे ये सभी भविष्य के गर्भ में छिपा।
तो भारत के खिलाड़ी मैदान में अपने हिसाब कोशिश से सभी अच्छा खेले हम मानकर चलतें वो जीत के लिए खेल रहे न की हार के लिए लेकिन नियति हमें धोका दे गई। ऐसा ओर दूसरी टीमो के साथ भी हुवा हैं यह युनिवर्सल ट्रूट है।
एक समय सभी का अच्छा आता तथा खराब भी आता जिसतरह से हमेशा हम टास नहीं जीत सकतें उस तरह से हमेशा हम मैच नहीं जीत सकते हम क्या कोई भी प्रतिष्ठित धुरंधर टीम इसलिए यह सत्यता बताने व जाननें के लिए टास होता है , कभी बारिश होती है तो मैच रूकता फिर रन ओसत से भी हार जीत होती कभी सुपर ओवर तो कभी बाल आउट तक पहुचने के लिये मैच का टाई होना। वो सिर्फ एक रन से ही तय होता हैं मैने दक्षिण अफ्रीका की वो हार भी देखी जो 44बाल 6 रन दो विकेट शेष भी रहते हासिल नहीं कर पाई वो भी भारत ने उसे हराया तो क्या वो इतनी कमजोर व ख़राब टीम थी नहीं नियति उनके पक्ष में नहीं थी तथा वो दिन तथा वो समय उनका नहीं रहा भारत का रहा।
इस ज्यादा दुःख व सोचनें की जरूरत नहीं आने वाले मैचों के लिए तैयार रहो। खेलते रहो । नतीजे जो भी आये । इसे ही अनिश्चितता का का खेल क्रिकेट कहा गया है। अपनी भूमिका निभाते रहो बस अच्छे कर्म करो फल की इच्छा मत करो निस्वार्थ भाव से कर्म करतें रहो नियति अपने हिसाब से फल देती रहेगी बस अपने क्रिकेट खेलने के धर्म पर सत्यता से अडिग रहो।