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प्रमोद शुक्ल
आजादी के पहले वाली कांग्रेस के इतिहास का जिसने भी गंभीरता से अध्ययन किया है उसे एक पुस्तक सिर्फ इस विषय पर लिखनी चाहिए कि तानाशाही प्रवृत्ति वाले कथित महात्मा के सामने लोकतांत्रिक ढंग से कांग्रेस अध्यक्ष पद पर विजयी हुए सुभाष चंद्र बोस ने आखिर किस मान:स्थिति में आत्मसमर्पण किया ? उनके इस पलायन (?) का मनोवैज्ञानिक विश्लेषण किसी भी लेखक ने गहराई में जाकर अब तक नहीं किया?
विपक्ष ने इंडिया नाम से जिस तरह खेला है, भाजपा भी कमल से उसी तरह खेल रही है ?
विपक्ष ने इंडिया नाम से जिस तरह खेला है, भाजपा भी कमल से उसी तरह खेल रही है ?
बहुत महत्वपूर्ण और गंभीर प्रश्न इस पर कार्य होना चाहिए बहुत सी वास्तविकता जो वर्तमान में हमारे देश की प्रगति में बाधक है उसका सर्वजनिकरण हो जाएगा किसी व्यक्ति के जीवित न रहने के बाद उसके प्रतिकूल कुछ भी कहना अनैतिक होता है लेकिन उसकी गलतियों की सजा आने वाली पीढियां तक वर्षों वर्तमान को प्राप्त होती रहे यह भी नैतिक नहीं है इस बारे में वर्तमान पीढ़ी को बहुत कुछ बताना पड़ेगा जिसकी सजा देशवासियों को भुगतनी पड़ रही है।