पीएम मोदी महिला वोटर्स : 2024 में अपने जीवन के सबसे बड़े सियासी चुनाव से पहले पीएम नरेंद्र मोदी ने अपना अंतिम वोट बैंक वाला दांव चल दिया है। यह दांव है महिला वोट बैंक को साधने का और इसका माध्यम है करीब ढाई दशक से लटका महिला आरक्षण बिल। आज इसे नई संसद की लोकसभा में पेश कर दिया गया। अब देश की महिलाओं को संसद में 33 फीसदी आरक्षण मिलेगा।
अच्छी बात है! लेकिन इसकी टाइमिंग बेहद बुरी है और इस पर तार्किक सवाल उठना लाजमी है। 2023 के अंत में ही मोदी सरकार को महिला आरक्षण बिल लाने की जल्दी क्यों पड़ी ? क्या नए संसद भवन में प्रवेश की प्रतीक्षा थी ? क्या अपने कोर वोट बैंक पर मोदी जी को पहले जितना भरोसा नहीं रहा? अंदर की सच्चाई तो वही बेहतर जानते हैं क्योंकि उनके असली मन की बात तो उनके खास एवं भरोसेमंद जन भी नहीं जान पाते हैं।
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सियासी दृष्टिकोण से देखें तो आगामी 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव में भी पीएम मोदी को महिला वोटर्स से भारी उम्मीद है। तभी तो मध्य प्रदेश में ‘मामा जी’ शिवराज चौहान की सरकार ने अपने लगभाग 20 सालों के कार्यकाल में पहली बार लाडली योजना जैसी महिलाओं की हितैषी योजना को इतनी जल्दी लॉन्च भी कर दिया। इससे पहली बार वोटर बनने वाली महिला वोटर्स को सीधे तौर पर लुभावने का लक्ष्य है। चलिए ये भी अच्छी बात है, आखिर वोट के बदले बैंक अकाउंट में पैसे ट्रांसफर हो जायें तो आखिर फिर कैसी हर्ज हो ?
पीएम मोदी महिला वोटर्स : दरअसल बात तो 2024 लोकसभा चुनाव की है। ‘निर्भया फंड’ का तो अब कोई नाम भी नहीं लेता। मोदी जी स्वयं शायद इसकी घोषणा कर के भूल गए हैं। अगले 15 सालों के लिए महिला आरक्षण की चमत्कारी स्कीम लाएं हैं ताकि महिला वोटर बीजेपी की महिला प्रत्याशी को ही वोट करें, यह जान कर कि ‘बीजेपी वाले ही तुम्हारा सियासी उत्थान कर सकते हैं।’ मणिपुर हिंसा के दौरान अनेक महिलाओं को नंगा कर, उनके सामूहिक बलात्कार और हत्या की खबरों से विचलित न हो कर हरदम अपनी छवि और प्रतिष्ठा के बारे में सोचने वाले पीएम मोदी को 2024 में जीत के लिए केवल महिला वोटर्स से आस है! अब महिला वोटर्स भावनात्मक होकर या विवेकशील होकर अपने मताधिकार का इस्तेमाल करेंगी, यह इतिहास के निर्णायक पन्नों में दर्ज हो जाएगा।