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एस ओम प्रकाश
आज का दिन पूरी तरह से भारत का दिन है ! आज का ऐतिहासिक दिन एक भारतीय दिन है, भारत का दिन है, गर्व से उन्नत भारतीय ललाट का दिन है।
आज का दिन हमारी पवित्र भूमि पर अपना अपवित्र नेमप्लेट ठोक कर गये विदेशी आक्रांताओं के नामपट को हटाकर सदा सदा के लिए इस कलंक से मुक्ति का दिन है। हमारा प्रिय भारत हम भारतीयों का है किसी एक परिवार की बपौती नहीं।
लेकिन इस देश को अपनी जागीर समझनेवालों ने न केवल नेताजी सुभाष चन्द्र बोस, स्वातन्त्र्यवीर सावरकर, सरदार वल्लभ भाई पटेल आदि सदृश महान विभूतियों को गुमनामी के अंधेरे में धकेल दिया बल्कि इन महान स्वतंत्रता सेनानियों पर तरह-तरह के गन्दे आक्षेप लगाकर इन्हें अपमानित भी किया।
स्वयं को स्वयं की अनुशंसा से स्वयं ही भारत रत्न देनेवालों की राजशाही मानसिकता को प्रधानमंत्री मोदी एक-एक कर लोकशाही में बदलने का पुनीत कार्य करते जा रहे हैं जिसके लिए उनका अनेक अनेक अभिनन्दन और नमन।
चंद्र बाबू नायडू कहां हैं? याद है?
इनके ऐसे कार्यों, देश के प्रति इनका ऐसा अहर्निश कटिबद्ध और प्रतिबद्ध सेवाभाव एवं भारत की आत्मा की सुगंध से सुगंधित इनके दिव्याचरण को देखकर बहुत सुखद अनुभूति होती है कि भारत के प्रधानमंत्री एक ऐसे व्यक्ति हैं जिनमें भारत दिखता है, भारत बोलता है और भारत धड़कता है।
लगता है कि ये भारत के ही प्रधानमंत्री हैं। अनुरोध है कि अब हमारे महान क्रांतिकारियों यथा चन्द्रशेखर आजाद,भगत सिंह, रामप्रसाद बिस्मिल, राजगुरु, अशफाकुल्ला खान आदि के बलिदानों का श्रद्धानत स्मरण करते हुए इनका वास्तविक स्थान और सम्मान अंकित-स्थापित किया जाए।
प्रधानमंत्री ने बिल्कुल ठीक कहा कि गुलामी के चिह्नों को मिटाने का यह आरम्भ है, अंत नहीं !
इन बलिदानियों का सम्मान,भारत के ज्ञान-विज्ञान का सम्मान, भारत की उपलब्धियों का सम्मान, भारत की विरासत का सम्मान, भारत की भाषाओं का सम्मान, भारतीय दर्शन का सम्मान, भारत के शिल्प-साहित्य-संगीत का सम्मान और भारतीय संस्कृति का सम्मान करने के अनिवार्य कर्तव्य का संकल्प आज हम अपने कर्तव्य पथ पर लें ताकि भारत भारत दिखे, विदेशी आक्रांताओं का उपनिवेश नहीं।