- राज शेखर तिवारी
सुश्री लाल बिंदी जी लगभग एक या डेढ़ वर्ष के पश्चात अचानक से कल इनबॉक्स में आ धमकीं और बोलीं कि यह कमल का फूल क्यों दिखाया जा रहा है G20 सम्मेलन में ?
मैंने कहा कि मोहतरमा, कमल के फूल को आप किसी पार्टी के चुनावचिन्ह से न देखकर उसे सनातन हिन्दू धर्म के एक प्रतीक के रूप में देखिये…
बोलीं क्या प्रतीक है ? वही कींचड़ में कमल वाली लॉजिक । मैंने कहा कि नहीं मोहतरमा ! यह असंगता का प्रतीक तो है ही, यह कार्य कारण से नहीं बल्कि ईश्वर की इच्छा का भी प्रतीक है।
लाल बिंदी जी गुर्राने लगीं, बोली अब यह कार्य कारण क्या है ? मैंने पूछा “चिकेन एंड एग की स्टोरी’ वाला खेल खेली हो ? बोलीं हाँ वहीं न जिसमें पूछते हैं कि अंडा पहले आया या चिकेन ?
मैंने कहा कि हाँ वही । उसे ही कार्य कारण कहते हैं । जैसे तुम कार्य हो और पृथ्वी पर गलती से आ गयी हो तो तुम्हारे माता पिता उसके कारण हैं।
तो कोई डार्बिन या डारविनीकरण की बुद्धि वाला पूछने लगे कि तुम्हारे बाप का बाप, तुम्हारे बाप का कारण और उसका कारण और फिर उसका कारण करते करते बंदर पर पहुँच जायेंगे और फिर बंदर से पक्षी फिर पक्षी से मछली फिर मछली से अमीबा और फिर चुप हो जायेंगे।
भारत की अध्यक्षता में जी20 का सफल आयोजन के बाद शिखर सम्मेलन का समापन
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सनातन हिन्दू धर्म सूक्ष्म अवतार (एक कला) से कृष्णावतार (१६ कला) का विस्तार मानता है और सृष्टि का हेतु “कमल“ । लाल बिंदी पुनः बिफर गयीं । बोलीं घुमा फिरा कर तुम पुनः कमल पर आ गये ।
मैंने कहा कि हम यह मानते हैं कि सृष्टि की उत्पत्ति श्री हरि नारायण की इच्छा से हुयी है। आँख उठाकर ऊपर देखो… जो नभ दिख रहा है वह श्री हरि नारायण की नाभि है। नभ एव नाभि।
और उसी नाभि में ब्रह्म कमल निकला और उससे मन बुद्धि चित्त अहंकार जिसे हम ब्रह्मा के रूप में जानते हैं। अतः कमल ईश्वर इच्छा का प्रतीक है। सनातन हिन्दू धर्म में नारायण की इच्छा का प्रतीक है… और G20 में संपूर्ण विश्व की सनातन हिन्दू धर्म से पहचान करायी जा रही है ।
लाल बिंदी जी सदैव की भाँति बिना बाय साय किये ही निकल लीं। नोटः लाल बिंदी का नाम दिव्या …. नहीं है।