अरविंद केजरीवाल की दिल्ली जीत के पीछे मुस्लिम वोट बैंक

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  • रामप्रकाश नेमानी


कभी आपने गौर किया है कि जो अरविंद केजरीवाल दिल्ली लोकसभा में  एक भी सीट नहीं जीत पाए, वो विधानसभा में सत्तर में से 67 कैसे जीत जाते हैं ?

इसका इलाज ढूंढ लिया गया है ! कभी दिल्ली एनसीआर की  डेमोग्राफी पर नजर डालिए। दिल्ली के चारों तरफ खास करके up साइड में लोनी ..साहिबाबाद ..गाजियाबाद वाले क्षेत्र घनी मुस्लिम आबादी वाले हैं।

उधर, यही हाल हरियाणा के फरीदाबाद का है। इन क्षेत्रों में तकरीबन कुल मिला के 25 से तीस लाख मुस्लिम मतदाता रहते हैं। इनमें से हर कोई कभी न कभी दिल्ली में रहा है.. इन सबके पास दिल्ली और up दोनों के मतदाता कार्ड हैं और ये दोनों जगहों के वोटर होते हैं।

जब दिल्ली विधानसभा के चुनाव होते हैं तो बार्डर एरिया का नजारा ही अलग होता है। सारे दिन मुस्लिम समुदाय की रेलमपेल लगी राहती है up to  दिल्ली।


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सवारी नहीं मिलती तो ये कट्टर भाजपा विरोधी लाव लश्कर के साथ पैदल ही दिल्ली निकल लेते हैं। और लगभग समान रूप से हर विधानसभा में 50 हजार अतिरिक्त वोट केजरीवाल को मिल जाते हैं।

जबकि लोकसभा चुनाव सभी जगह एक साथ होते हैं तो ये लोग अपने ही एरिया में वोट डालते हैं। पर अब चुनाव आयोग वोटर कार्ड को आधार कार्ड से लिंक कर रहा है…जिससे अब हर कोई सिर्फ एक ही जगह का वोटर रहेगा।

कल मेरी कालोनी में कैंप लगा था ..! हमने अपना लिंक करा लिया पर कालोनी में रहने वाले मुस्लिम समुदाय बहुत दुविधा में हैं कि कहाँ का वोटर बनू ?

क्योंकि ये दोनों जगह से लाभ ले रहे हैं। खैर आयोग के इस कदम से अब मुस्लिम वोटों का तिलस्म बुरी तरह टूटने वाला है।

 

 

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