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सजल गुप्ता
कुछ दिनों पहले अजित डोवाल सर ने क्या कहा था… गुजरात में सरदार पटेल की विराट प्रतिमा के नीचे खड़े होकर उन्होंने कहा था कि “देशों के बीच के युद्ध अपने 4th स्टेज में जा चुके हैं। अब आमने सामने लड़ाई का जमाना चला गया। अब किसी देश की सिविल सोसायटी को ही देश के विरुद्ध खड़ा करके युद्ध लड़े जाते हैं”
यह कोई फेसबुकिए की पोस्ट नहीं थी कि खाना खाते खाते मन में आई और लिख दी हो.. ये देश के सुरक्षा सलाहकार का व्यक्तव था ..वह भी आईपीएस अधिकारियों के बीच दिया हुआ। बहुत से इनपुट्स मिले होंगे तभी कहा होगा।
इनपुट्स हम सभी को भी तो पब्लिकली दिखते रहते हैं.. कुरनाकुलम में परमाणु संयंत्र का विरोध हो या स्टरलाइट का विरोध.. राफेल में अड़ंगा हो या सुधार कानूनों में अड़ंगा.. बॉर्डर के किनारे की सामरिक सड़कों को चौड़ा करने की बात हो तो भी सरकार को अपनी मिसाइलों के साइज की दुहाई कोर्ट में खड़े होकर देनी पड़ रही है।
‘तत्व’ के अर्थ में समझे हिन्दुत्व को
Ngo की आड़ में देश का विकास बाधित करने और देश को कमज़ोर करने के विदेशी प्रयास लगातार जारी हैं। चीन के सोशल मीडिया पर खुली चर्चा है कि किस प्रकार 2040 तक भारत से अरुणाचल प्रदेश ले लिया जाएगा।
वे कहते हैं कि पाकिस्तान को हर तरीके के हथियार उस समय दे दिए जाएंगे..साथ ही साथ भारत को उसके अंदर ही उथल पुथल से भर दिया जाएगा .. (राज्यों की गैर भाजपा सरकारों के फिलहाल के रुख पर ही गौर करें), इस सबके अतिरिक्त हम श्रीलंका की तरफ से भी घिरे हुए हैं और मालदीव की तरफ से भी…खतरे बड़े हैं और मुंह बाये सामने खड़े हैं।
इस सब के बीच इन कृषि कानूनों की वापसी से विचलित होने की आवश्यकता नहीं है। बिना किसी लाफिंग इमोज़ी के मैं कहता हूँ।
“मोदी जी ने किया है तो ठीक ही किया होगा” कोई 2 दशक पहले एक इंटरव्यू में मोदी जी ने कहा था ..”चीजों को उनके व्यापक रूप में देखने की आदत डालनी चाहिए” अगर आप में यह आदत नहीं है तो डाल लीजिये।