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कौशल सिखाउला
विपक्षी दलों ने जिस दिन अपने गठबंधन का नाम डॉट डॉट लगाकर इंडिया किया था उसी दिन लग गया था कि नाम को लेकर अब जवाबी खबरें भी खूब आएंगी। आई भी और अभी आएंगी भी बहुत। सरकार ने जी 20 जैसे अंतरराष्ट्रीय आयोजन में अचानक आमंत्रण पत्रों और नाम पट्टिकाओं से इंडिया हटाकर भारत कर दिया। अच्छा यह होगा कि यदि नाम बदलना ही है तो संसद में चर्चा हो।
राष्ट्रीय स्तर पर इंडिया नाम को बदल दिया जाए, परंतु पूरी तैयारियों के बाद। हालांकि जी 20 जैसी इंटरनेशनल समिट में यदि इंडिया ही बना रहने दिया जाता तो भी कोई पहाड़ न टूट पड़ता। देश या दुनिया में ऐसा कोई मूर्ख नहीं है जो इंडिया नाम लेने पर डॉट गठबंधन को याद करने लगेगा ? कहीं सरकार ही तो इंडिया नाम से डर नहीं रही है ? संविधान में भारत और इंडिया दोनों हैं। देश का नाम स्थाई रूप से भारत किया जा सकता है। संसद के विशेष सत्र में यह बिल आ सकता है।
नाम बदलने पर 14 हजार करोड़ ₹ खर्च होने का अनुमान लगाया गया है । पर जी समिट में अचानक नाम बदलना अटपटा भी लगा और बचकाना भी । भारत जैसे महान देश की सरकार को इससे बचना चाहिए था।
संसद के विशेष सत्र का कोई भी एजेंडा अभी सामने नहीं आया है। स्वाभाविक रूप से विपक्ष इस पर नाराज है। सत्र प्रारंभ होने में कुल पांच दिन शेष हैं अतः विपक्ष की नाराजगी पूरी तरह जायज है । विशेष सत्र हो या सामान्य संसद सत्र ; तैयारी विपक्ष को भी करनी पड़ती है। साथ ही विपक्ष और सत्तारूढ़ दल के सांसदों को भी अपने सवाल भेजने पड़ते हैं।
चूंकि कोई एजेंडा ही नहीं अतः माना जाएगा कि सरकार पाँच दिनों के इस सत्र में कुछ बड़ा करने वाली है। वैसे सरकार कुछ बड़ा करे या छोटा , सदन में चर्चा लाजमी है । सब जानते हैं कि संसद में कोई भी चर्चा तब तक फीकी और बेमानी है, जब तक कि विपक्ष बहस में भाग न ले । विपक्ष ने इस बार निर्णय लिया है कि वह सदन का बहिष्कार नहीं करेगा , चर्चा में भाग लेगा । यह अच्छी बात है।
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यद्यपि सरकार या संसदीय कार्यमंत्री की ओर से कोई पुष्टि नहीं की गई है पर नई संसद में अधिकारियों कर्मचारियों के नए ड्रेस कोड को लेकर दो बातें सामने आई हैं। ड्रेस का स्वरूप फॉर्मल ड्रेस से हटाकर रंग बिरंगा कर दिया गया है। दूसरी बात यह कि ड्रेस पर कमल के फूल बने हैं।
यह ठीक है कि संसद के दोनों सदन गंभीर चर्चाओं के लिए हैं। यह पूरे देश के फैसले लिए जाते हैं। संसद कोई फैशनेबल बाजार नहीं कि हम डिजाइनर्स से कर्मचारियों की रंगबिरंगी पोशाकें तैयार कराएं।
दोनों सदनों में फॉर्मल यूनिफॉर्म ही रहे तो अच्छा लगता है। यद्यपि सरकार ने कोई बात नहीं की , किंतु सोशल मीडिया पर कमल के निशान वाली गुलाबी , कत्थई , लाल , हरी ड्रैस वाले चित्र वायरल हैं। सच कहें तो ये अच्छे नहीं लग रहे। यद्यपि कमल हमारा राष्ट्रीय फूल है , तथापि भाजपा का चुनाव चिन्ह भी।
तो क्या विपक्ष ने इंडिया नाम से जिस तरह खेला है , भाजपा भी कमल से उसी तरह खेल रही है ? यदि हां तो गठबंधन इंडिया और एनडीए के लिए यह ठीक हो सकता है , देश और संसद के लिए नहीं । संसद की एक गरिमा है । संसद से राष्ट्र के महान नेताओं का इतिहास जुड़ा है । याद रहे उसके सम्मान की रक्षा करने का दायित्व विपक्ष से कहीं ज्यादा भारत सरकार का है ।