अयोध्या में 492 साल पहले राम मंदिर हुआ करता था। बाबर ने जब भारत पर हमला करके राजगद्दी हासिल कर ली तब उसने राम मंदिर को तूड़वा कर वहां मस्जिद बना दी थी। उसके बाद से आज तक वहां राम मंदिर और मस्जिद को बनाने की लड़ाइयां चलती रही। हिंदू कहते थे कि यहां राम मंदिर बनेगा और मुस्लिम कहते थे कि वह मस्जिद बनेगा।
अंत में आखिरकार जीत हिंदूओं की हुई और 5 अगस्त 2020 को 492 साल बाद एक बार फिर से अयोध्या में राम मंदिर की नींव रखी गई। इस मंदिर के बनाने का युवाओं के लिए बहुत अधिक महत्व है। यदि हम देखें तो भगवान राम सिर्फ भगवान ही नहीं थे परंतु वह आज के युवाओं के लिए एक प्रेरणा का स्रोत भी हैं।
राम मंदिर के लिए 28 साल से अन्न त्यागी थी यह वृद्ध माता उर्मिला चतुर्वेदी जी
किस तरह उन्होंने अपने माता-पिता के वचनों का पालन किया था। यह बात आज की पीढ़ी में बहुत कम देखने को मिलती है। भगवान राम अपने प्रेम को बचाने के लिए लंकापति रावण से भिड़ गए थे और आज के युवा तो अपने माता पिता से भी बोलने का साहस नहीं रखते हैं। दूसरी बात यह है कि हिंदुस्तान एक हिंदू प्रमुख देश है।
आखिरकार हिंदुस्तान का नाम हिंदूओं के ऊपर ही पड़ा है और ऐसे में अगर वहां राम मंदिर की जगह मस्जिद बनाई जाती तब यह बात हिंदूओं के लिए बहुत अधिक शर्मनाक होनी थी। कभी आपने सुना है कि पाकिस्तान में मंदिर बने हो? भगवान राम का जन्म अयोध्या में हुआ था, उनका पूरा बचपन आयोध्या में बीता था और वहां उनके नाम का मंदिर बनना बहुत ही अधिक आवश्यक था। यदि वहां मंदिर ना बनाया जाता तो यह आज की पीढ़ी के लिए एक बहुत बड़ा फिर श्राप बनकर रह जाता।