- अमित सिंघल
चूंकि मैं सपरिवार पश्चिमी सभ्यता और परिवेश में रहता हूँ, मुझे यह स्पष्ट हो गया था कि सांता क्लॉज़ की कहानी का मेरे पुत्र पे असर पड़ेगा। आखिरकार, प्राइमरी स्कूल और मोहल्ले के मित्र उत्साह के साथ उसे बताएंगे कि उन्होंने सांता से क्या माँगा, रात में सांता उन्हें क्या उपहार देकर चला गया। फिर पुत्र भी सांता की विजिट की प्रतीक्षा करेगा और अगर उसे उपहार ना मिला तो निराश होगा।
लेकिन मुझे यह भी पता था कि दीवाली को लक्ष्मी जी हमारे घर आती हैं और हमको समृद्धि का आशीर्वाद देकर जाती हैं। साथ ही, हर सनातनी परिवार में दीवाली की पूजा के बाद बच्चों के हाथ में कुछ रुपये या फिर उपहार देने की परंपरा रही है।
अतः, मैंने बेटे को बताया कि लक्ष्मी जी दीवाली की रात को हमारे घर आएंगी और उसके लिए कुछ धन और खिलौने छोड़कर जायेंगी. जब वह सुबह उठा, तो उसने अपने बिस्तर के निकट लक्ष्मी जी द्वारा छोड़े गए धन और खिलौने को पाया। अब उसके उत्साह और प्रसन्नता का ठिकाना ना था।
अतः इस दीवाली को बच्चों को पूजा के बाद आशीर्वाद अवश्य दीजिये, लेकिन अगर आप उचित समझे तो बच्चो को बताइये कि रात को लक्ष्मी जी उसके रूम में उपहार छोड़कर जायेगी। आज से ही बच्चों को यह बतलाना शुरू कर दीजिये।
ये अशोक गहलौत भी न ! बड़े वो हैं !
अब मैं सोचता हूँ कि लक्ष्मी जी के साथ मैं गणेश जी को भी जोड़ देता हूं और बेटे को बताता हूं कि लक्ष्मी जी उल्लू पे और गणेश जी चूहे पे सवार होकर उसके रूम में आशीर्वाद और उपहार देने आएंगे, तो इससे अधिक रोमांचक घटना किसी बच्चे के लिए हो ही नहीं सकती। और हाँ, प्रयास कीजिए कि उपहार भारत
में बने (मेड इन इंडिया) ही होने चाहिए। हमारे पुराण, हमारी कथाएं, हमारी आस्था पूरे विश्व में अनूठी है, रंगों से भरपूर हमारे विश्वास की डोर से बंधी है।