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अनिल कौशिश
ये क्या हुआ ? विनोद कांबली जी
आप तो सचिन तेंदुलकर जितने ही प्रतिभाशाली खिलाड़ी थे। उनके कोच रमाकांत आर्चेकर भी अक्सर यही कहा करते थेः
‘विनोद कांबली और सचिन तेंदुलकर एक समान प्रतिभाशाली खिलाड़ी हैं।’
कभी-कभी तो वे आपको सचिन तेंदुलकर से भी अधिक अच्छा खिलाड़ी बता देते थे।
फिर यह क्या हुआ कि सचिन तेंदुलकर तो अ़र्श पर पहुँच गये और आप कभी ज़मीन से कुछ ऊपर अवश्य उठे थे पर आप जल्द ही फ़र्श पर आ गये थे। और आज! आज तो आप कहीं भी नहीं हैं।
आज आपकी हालत यह है कि आप यदि किसी नगर के भीड़ भरे चौराहे पर खड़े हो जायें तो आपको 4 लोग भी न पहचानें।
आपके साथ ऐसा क्यों हुआ? कभीआप दोनो खिलाड़ी एक साथ खेलते थे तबः
सचिन तेंदुलकर केवल, केवल और केवल क्रिकेट को ही जीया करते थे। वे हर समय यही सोचते रहते थे कि उनका अगला मुकाबला किस टीम के साथ होगा। उस टीम में तेज़ और स्पिन गेंदबाज़ कौन होंगे?
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उन्हें उन गेंदबाज़ों को डिफेंड कैसे करना है और उनकी धुनाई कैसे करनी है। वे तो सुबह 3 बजे उठ कर और नित्यकर्म करके 4 बजे ही हाथ में बल्ला लेकर प्रेक्टिस के लिये क्रिकेट मैदान में पहुँच जाते थे।
और आप ?
आप तो उन दिनों रात के दो बजे तक डिस्कोथ क्लब में नाचा करते थे। मुझे नहीं पता कि सच क्या है पर उन दिनों बहुत बार यह छपा करता था कि अगले दिन मैच शुरु के समय तक आपकी आँखें भी बड़ी मुश्किल से खुला करती थी।
इसीलिये कहा जाता है कि सदा लक्ष्य पर दृष्टि रखी जाये।
सावधानी हटी दुर्घटना घटी। यही कारण है कि सचिन तेंदुलकर आज अरबों रु में खेल रहे हैं और आप केवल 30 हजार रु महीने में काम चला रहे हो।
अब पछताये होत क्या जब चिड़ियाँ चुग गयी खेत।