भारतीय जनता पार्टी ने गुजरात में खेला कर दिया। दरअसल ये खेला विधानसभा चुनाव को लेकर किया गया है। विजय रूपाणी के इस्तीफे के बाद से ही कयास यही लगाए जा रहे थे कि गुजरात की कमान नितिन पटेल को दी जायेगी। राजनीतिक गलियारे में भी नितिन पटेल के नाम की हलचल तेज थी लेकिन भारतीय जनता पार्टी ने पहली बार के विधायक भूपेन्द्र पटेल को मुख्यमंत्री बनाकर एक बार फिर से अपने फैसले से सबको चौका दिया। जैसे ही भूपेन्द्र पटेल के नाम पर मोहर लगी तो ख़बरें बनने लगी कि आखिर 6 बार से ज्यदा विधायक रह चुके नितिन पटेल को बीजेपी ने तरजीह क्यों नहीं दी?
इतने साल घोर तपस्या कर जनता की सेवा करने वाले नितिन पटेल को मुख्यमंत्री ना बनाए जाने पर सवाल तो उठना लाजामी है। ख़बर यह भी है कि जैसे ही भूपेन्द्र पटेल को मुख्यमंत्री बनाया गया तो नितिन पटेल की नाराज होकर मीडिया से बात करने की बजाए सीधा घर चले गए। विधायक दल की बैठक से पहले मीडिया से मुखातिब होते हुए नितिन पटेल ने कहा था कि मुख्यमंत्री एक अनुभवी विधायक होना चाहिए। कुल मिलाकर नितिन पटेल मान चुके थे कि उन्हे ही गुजरात का मुख्यमंत्री बनाया जायेगा लेकिन बाजी ऐसी पलटी की उनका सपना टूट गया।
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वर्ष 2017 में जब नितिन पटेल को वित्त मंत्रालय की कमान नहीं दी गई थी तो उन्होनें बगावत का ऐलान कर दिया था। उनके इस बगावती तेवर के आगे पार्टी आलाकमान को भी झुकना पड़ा था। लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ। कहा ये भी जा रहा है कि उनके पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी से अच्छे संबंध नहीं थे और वो पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान में उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल के करीबी थे जो गुजरात की राजनीती में अमित शाह की विरोधी बताई जाती थी। और विजय रूपाणी के अमित शाह से अच्छे संबंध थे। विजय रूपाणी ने ही भूपेन्द्र पटेल की सिफारिस की थी। खैर जो भी हो राज्य में अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनज़र बीजेपी नितिन पटेल को अनदेखा नहीं कर सकती।