भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी 22 सितंबर को अपनी अमेरिका की यात्रा पर रवाना हो चुके हैं। भारत के प्रधानमंत्री अपनी अमेरिका की यात्रा के दौरान कई महत्वपूर्ण बैठकों में हिस्सा लेंगे। जिसमें अमेरिका के राष्ट्रपति से मुलाकात, QUAD की बैठक में हिस्सा लेना और संयुक्त राष्ट्र को संबोधित करना जैसे कई महत्वपूर्ण कार्य शामिल हैं। परंतु प्रश्न यह उठता है कि क्या भारत के प्रधानमंत्री मोदी जी की अमेरिकी राष्ट्रपति जो वार्डन से मुलाकात भारत के हित में होगी या नहीं क्योंकि राष्ट्रपति बनने के बाद से जो बिडेन ने एक के बाद एक लगातार गलत निर्णय लिए हैं जिसने भारत को नुकसान पहुंचाया है जबकि चीन को बिडेन के निर्णय से लगातार फायदा मिलता रहा है।
भारत को नुकसान पहुंचाते रहे हैं जो बिडेन
डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल के दौरान भारत और अमेरिका के रिश्ते काफी मजबूत थे परंतु जब से जो बिडेन अमेरिका की सत्ता पर आए हैं तब से उनके द्वारा लिए गए निर्णय भारत के लिए किसी ना किसी तरह से सिर दर्द बनते आ रहे हैं। जिस तरह से अमेरिकी राष्ट्रपति ने अपने सैनिकों को अफगानिस्तान से हटाया, उसमें भारत के सामने एक बहुत बड़ा सुरक्षा संकट उत्पन्न कर दिया है। एक महत्वपूर्ण रणनीतिक साझेदार होते हुए भी अमेरिका ने भारत के विषय में एक भी बार नहीं सोचा और उसने अफगानिस्तान को तुरंत छोड़ने का निर्णय लिया। जिसके कारण आने वाले समय में भारत को कश्मीर में और देश के अन्य हिस्सों में आतंकवाद जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
जो बिडेन द्वारा अफगानिस्तान छोड़ने का लिया गया निर्णय चीन को और पाकिस्तान को सीधे-सीधे फायदा पहुंचाता है क्योंकि दोनों भारत के दुश्मन देश हैं और दोनों अफगानिस्तान की आतंकवादी तालिबानी सरकार से बात कर भारत के खिलाफ अपना अलग प्रोपेगेंडा चला रहे हैं। जहां एक तरफ डोनाल्ड ट्रंप चीन को लेकर काफी सख्त थे वही जो बिडेन अमेरिका के राष्ट्रपति होते हुए भी चीन के खिलाफ किसी भी तरह की कार्यवाही करने से कतराते रहते हैं। जिसका सीधा नुकसान भारत को उठाना पड़ सकता है।
जो बिडेन के शासनकाल के दौरान अमेरिका भले ही भारत के साथ मजबूत संबंधों का दावा करता हो परंतु अफगानिस्तान वाली घटना से एक बात तय हो जाती है कि अमेरिका कभी भी अपने साथी देशों के साथ विश्वसनीय मित्रता नहीं निभा सकता और यह भी संभव हो सकता है कि आवश्यकता पड़ने पर वह भारत की सहायता के लिए आगे ना आए। जैसा कि पिछले भारत के युद्ध के दौरान हो चुका है। ऐसे में मोदी जी का पूरी तरह से अमेरिकी सरकार पर निर्भर होना और उन्हें एक विश्वसनीय दोस्त मानना एक गलती की तरह हो सकता है।
डोनाल्ड ट्रम्प के खिलाफ लिफ्टिस्टों ने चलाए थे प्रोपेगेंडा
अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव के दौरान पूरी दुनिया के लेफ्ट विंग ने डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ पूरा जोर शोर से प्रोपेगेंडा चलाया था। जिसमें भारत की भी लेफ्ट पार्टियां शामिल थी। आज जब डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के राष्ट्रपति नहीं है तब उसका सीधा नुकसान भारत को हो रहा है जो बिडेन की डरपोक नीतियां अमेरिका को वैश्विक शक्ति की पहचान से पीछे खींच रही हैं। वहीं चीन को अन्य देशों पर अतिक्रमण करने का बढ़ावा दे रही हैं। ऐसी परिस्थितियों में अब भारत को अमेरिका जैसे देश पर पूर्णता निर्भर ना होकर अपनी स्वयं की शक्ति बढ़ाने पर जोर देना होगा।
मेरी लेखनी रूकने वाली नहीं है यह चलती रहेगी।
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