सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई कमिटी पर किसान आंदोलन कर रहे प्रदर्शनकारी किसानों का कहना है कि जबतक ये कानून वापस नहीं लिया जाएगा वे प्रदर्शन करते रहेंगे। यहां तक कि उन्होंने मीडिया कर्मियों को भी वहा से जाने के लिए कह दिया था। और अब उनका कहना है कि उन्हें सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई कमेटी पर भरोसा नहीं करते है।
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक ‘मजदूर संघर्ष कमेटी पंजाब’ के दयाल सिंह ने कहा कि “सुप्रीम कोर्ट जो कमेटी बना रही हैं हमें उस पर यकीन नहीं है, सरकार जबतक इस मुद्दे का हल नहीं निकालती तब तक हम यहीं बैठे रहेंगे और प्रदर्शन करते रहेंगे।”
खबर ये भी है कि वहा उन्होंने ठंड से बचने के इंतजाम भी शुरू कर दिए है, उनका कहना है कि वे लंबे समय तक रुकने की तैयारी कर रहे है।किसानों के ये इंतजाम देखकर सोशल मीडिया पर भी प्रतिक्रिया देखने को मिली। एक यूजर्स ने पूछा यह कैसे किसान हैं -जिन्हें ना तो कोर्ट पर भरोसा है ना ही सरकार पर, अभी रोड जाम करेंगे जिससे की आम जनता को तकलीफ़ होगी ऐसा लगता है इनका एजेंडा कृषि बिल नहीं कुछ और ही है।
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आपको बता दें कि बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट में किसान आंदोलन को लेकर सुनवाई हुई थी जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि किसान और सरकार मुद्दे को बातचीत से नहीं सुलझा पा रही है अतः इस मुद्दे को सुलझाने के लिए एक कमेटी का गठन किया जाएगा जिसमें किसान संगठन, केंद्र सरकार और राज्य सरकार के प्रतिनिधि शामिल होंगे। कमेटी के गठन के के लिए किसानों को नोटिस भेज दिया गया है और हर संगठन कि लिस्ट भी मांगी गई है।
बातचीत और कमेटी बनाने तक तो ठीक है, लेकिन कई लोगों का मानना है कि सरकार और किसानों के बीच विश्वास की सख्त कमी है. दोनों को एक दूसरे की बातों और तर्क पर ज़रा भी यक़ीन नहीं है और यहाँ तक कि केंद्र सरकार और उन राज्य सरकारों के बीच भी विश्वास की कमी पाई जाती है जो इन तीन नए क़ानूनों से ख़ुश नहीं हैं। सवाल ये भी है कि आख़िर सरकार क़ानून वापस लेने को तैयार क्यों नहीं हैं? क्या इसके पीछे केवल राजनीतिक वजह है या फिर कुछ कृषि क्षेत्र के अर्थशास्त्र से भी जुड़ा है।