अफजल गुरू की तरह अपराधी विकास दुबे के साथ क्यों नहीं खड़े हुए उसके लोग?

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2 जुलाई की घटना आपको याद ही होगी जब कानपुर के एक गांव में एक अपराधी विकास दुबे को पकड़ने गए 8 पुलिसकर्मियों की गोली मारकर हत्या कर दी गई। देश में ऐसी बहुत कम ही घटनाएं होती है जब अपराधी की इस तरह योजनाबद्ध तरीके से पुलिस वालों पर टूट पड़े और फिल्मी स्टाइल में उन्हें मार दें। आज मध्य प्रदेश के उज्जैन से दुर्दांत अपराधी विकास दुबे को गिरफ्तार किया गया। लोगों में गुस्सा इतना था कि लोग उसके एनकाउंटर तक की बात कर रहे थे मगर शायद उसकी किस्मत इतनी अच्छी थी कि वह पुलिस के हाथों जीवित लग गया।

अपराधी विकास दुबे के साथ नहीं खड़े हुए हिन्दू समाज के लोग

आपको अफजल गुरु, याकूब मेमन और बुरहान वानी जैसे आतंकवादी तो याद ही होंगे जिन्होंने कई निर्दोषों को मारा। मगर इनके समर्थन में लाखों लोग सड़कों पर उतर आए। उनके जनाजे में शामिल हुए और आज तक इन आतंकवादियों का खुलेआम टीवी चैनलों पर और रैलियों में समर्थन किया जाता है। मगर कानपुर के दुर्दांत अपराधी विकास दुबे के समर्थन में कोई भी हिंदू खड़ा नहीं दिखाई दिया।

जो लोग हिंदुओं को आतंकवादी साबित करने की कोशिश में लगे रहते हैं। उनको सनातन धर्मियों का यह तमाचा जोरदार तरीके से लगा हुआ होगा जब इस अपराधी के समर्थन में कोई भी कहीं से भी ना तो समर्थन करता हुआ नजर आया और ना ही उसके लिए रोते हुए नजर आया।

पाकिस्तान में नहीं है किसी और धर्म की जगह

यही फर्क है हममें और तुममें

मैं यहां पर किसी धर्म विशेष का नाम नहीं लूंगा मगर आप खुद इस बात पर विचार कीजिए कि देश समाज और आम लोगों के दुश्मन जो उन्हें बिना किसी कारण निर्मम तरीके से मार देते हैं,उनके समर्थन में खड़े होने वाले लोग कौन हैं? दूसरी तरफ ऐसे लोग भी हैं जो श्री प्रकाश शुक्ला और विकास दुबे के समाज से संबंध रखते हैं मगर ऐसे दुर्दांत जघन्य अपराध करने वाले के साथ इनके समाज का कोई भी व्यक्ति कभी भी खड़ा हुआ नजर नहीं आता। हममें और उनमें केवल यही एक फर्क है जो कि स्पष्ट दिखाई पड़ता है।

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