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विनय कुमार
भारत में जी20 : भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को जी20 में हिस्सा ले रहे देशों के सुझावों, प्रस्तावों और विचारों पर चर्चा करने के लिए नवंबर से पहले एक वर्चुअल सेशन की पेशकश के साथ सम्मेलन के समापन का एलान कर दिया।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ब्राजील के औपचारिक रूप से जी20 देशों की अध्यक्षता लेने से पहले भारत के पास ढाई महीने का समय है और इसमें इन सुझावों पर विचार किया जा सकता है।
उन्होंने वन अर्थ,वन फैमिली,वन फ्यूचर के रोडमैप के सुखद होने की कामना के साथ सम्मेलन में हिस्सा ले रहे देशों को धन्यवाद दिया। इस दौरान उन्होंने संस्कृत का एक श्लोक भी कहा, जिसका संबंध दुनिया में शांति और खुशी की कामना से है।
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन समेत दुनिया भर से जुटे कई नेताओं ने भारत की अध्यक्षता की सराहना की। सम्मेलन में कुल तीन सत्र हुए।
दो सत्र, वन अर्थ और वन फैमिली के लिये तथा शनिवार को और एक सत्र वन फ्यूचर का आयोजन रविवार को हुआ। इसके साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शिखर सम्मेलन के समापन की घोषणा कर दी।
ये सम्मेलन 55 सदस्यीय अफ्रीकन यूनियन को स्थायी सदस्यता दिए जाने के लिए भी याद किया जाएगा।
सम्मेलन में हिस्सा लेने आए अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन और तुर्की के राष्ट्रपति रचैप तैयप अर्दोआन ने द्विपक्षीय वार्ता के दौरान संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता की दावेदारी का समर्थन किया है।
जी20 शिखर सम्मेलन के वन फ्यूचर सत्र में मोदी ने कहा, दुनिया के अच्छे भविष्य के लिए वैश्विक निकायों को आज की वास्तविकताओं को ध्यान में रखन जरूरी होगा। उन्होंने कहा कि जब संयुक्त राष्ट्र की स्थापना 51 संस्थापक सदस्यों के साथ हुई थी तब दुनिया बिल्कुल अलग थी क्योंकि लेकिन ये संख्या लगभग 200 हो गई है।
इसके बावजूद, यूएनएससी में स्थायी सदस्यों की संख्या वही बनी हुई है। लेकिन तब से दुनिया काफी बदल गई है चाहे परिवहन हो, संचार हो, स्वास्थ्य हो, शिक्षा हो, हर क्षेत्र में परिवर्तन हुआ है। पीएम मोदी ने साइबर सुरक्षा और क्रिप्टो करेंसी को दुनिया के वर्तमान और भविष्य को प्रभावित करने वाले ज्वलंत मुद्दों में से एक बताया।
उन्होंने एक उदाहरण के रूप में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का हवाला दिया और कहा कि जी20 देशों को 2019 में ब्लॉक की ओर से अपनाए गए एआई सिद्धांतों से आगे जाने की जरूरत है।
जी20 सम्मेलन के घोषणापत्र पर आम सहमति को भारत और पीएम नरेंद्र मोदी की सफलता के तौर पर देखा जा रहा है। समाचार एजेंसी पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से जानकारी दी है कि रूस, यूक्रेन मुद्दे पर सदस्य देशों के बीच तालमेल बिठाना आसान नहीं था।
घोषणापत्र पर सहमति कायम करने में ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका और इंडोनेशिया जैसे उभरती अर्थव्यवस्थाओं वाले देशों की इसमें अहम भूमिका रही। समाचार एजेंसी पीटीआई ने बताया है कि जी20 सम्मेलन ने भारत और उसके नेतृत्व को लोकतांत्रिक मूल्यों के मिलन बिंदु के तौर पर पेश किया। घोषणापत्र में यूक्रेन के मुद्दे पर रूस का नाम न लेना और जी20 देशों के नरम रुख को लेकर काफी चर्चा है।
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ये पहली बार था जब जी20 सम्मेलन में पश्चिमी देशों का दबदबा नहीं दिखा। अमूमन जी20 में जी7 यानी अमीर पश्चिमी देश हावी रहते हैं। लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ, भारत और विकासशील देशों ने ये पहले ही जता दिया था कि रूस, यूक्रेन के मुद्दे को इस पर हावी नहीं होने दिया जाएगा। जबकि इंडोनेशिया में हुए पिछले जी20 सम्मेलन में अमेरिका और यूरोप जैसे देशों के दबदबे की वजह से यूक्रेन के खिलाफ़ युद्ध छेड़ने के लिए रूस की निंदा की गई थी।
नई दिल्ली में सम्पन्न जी20 के इस सम्मेलन में बड़ी बात ये थी कि अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा जैसे देशों ने इस यथार्थ को मंजूर किया और उन्होंने इस पर बहुत जोर नहीं दिया। ये उभरती अर्थव्यवस्थाओं वाले देशों की उपलब्धि कही जाएगी।
जी20 के घोषणापत्र में यूक्रेन को मायूसी हाथ लगी है। इससे यूक्रेन नाराज हुआ और उसका ऐसा होना लाजिमी था। यूक्रेन पूरा जोर लगा रहा था कि इस सम्मेलन में रूस के ख़िलाफ निंदा प्रस्ताव लाया जाए या फिर उसके राष्ट्रपति वोलोदोमीर ज़ेलेंस्की को इसे वीडियो लिंक के जरिये संबोधित करने का मौका मिल जाए। लेकिन ऐसा नहीं हुआ, यूक्रेन के मुद्दे को किनारे कर दिया गया।
इस मामले का जिक्र करते हुए भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि इंडोनेशिया के बाली में यूक्रेन मुद्दे पर प्रस्ताव से इसकी तुलना नहीं की जानी चाहिए। उन्होंने कहा, बाली सम्मेलन एक साल पहले हुआ था, तब हालात अलग थे। तब से अब तक बहुत कुछ हो चुका है।
विशेषज्ञों का कहना कि भारत ने जी20 सम्मेलन में रूस, यूक्रेन का मुद्दा हावी नहीं होने दिया। इसके बजाय इसमें कोविड के बाद की दुनिया में डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर, क्रिप्टोकरेंसी पर रेगुलेशन और वैश्विक फाइनेंशियल फ्रेमवर्क जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई, जो आज की आर्थिक चुनौतियों से भरी दुनिया के लिए बिल्कुल मुफीद मुद्दे थे।
सम्मेलन के इतर भारत की 15 देशों के साथ द्विपक्षीय बातचीत हुई। अमेरिका ने बातचीत के दौरान 31प्रिडेटर ड्रोन खरीदने के लिए भारत की ओर से अनुरोध पत्र जारी करने का स्वागत किया। मोदी और बाइडेन ने कहा कि दोनों सरकारें स्ट्रैटजिक पार्टनरशिप पर काम करती रहेंगी और सेमी कंडक्टर सप्लाई चेन के लिए काम करेंगे। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने भी जी20 सम्मेलन में चर्चा के दौरान शामिल किए गए मुद्दों पर सहमति जताई। उन्होंने कहा कि इस साल के जी20 सम्मेलन ने ये साबित कर दिया कि ये संगठन दुनिया की बड़ी समस्याओं के हल की दिशा में काम कर सकता है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, ऐसे वक्त में जब दुनिया जलवायु परिवर्तन, अपनी कमजोरियों और संघर्षों से जूझ रही है तो ऐसे समय में इस साल के जी20 सम्मेलन ने साबित किया है कि इसके पास दुनिया की बड़ी समस्याओं का हल है।
शनिवार को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से 50 मिनट की द्विपक्षीय बातचीत में बाइडेन ने अमेरिका और भारत के बीच रिश्तों को और मजबूत और बहुआयामी करने की प्रतिबद्धता जताई।
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक और पीएम मोदी के साथ बातचीत में मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के साथ ही दोनों देशों के बीच आपसी व्यापार और निवेश में तेजी लाने की प्रतिबद्धता जताई गई। वहीं बांग्लादेश से सुरक्षा सहयोग, सीमा प्रबंधन, व्यापार और कनेक्टिविटी, जल संसाधन, बिजली और ऊर्जा सहयोग पर चर्चा हुई।
पीएम मोदी ने शुक्रवार को बाइडेन, बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना और मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रविंद जुगनाथ के साथ द्विपक्षीय बैठक की।
शनिवार को ब्रिटेन, जापान, जर्मनी, इटली से द्विपक्षीय वार्ता हुई। 10 सितंबर यानी रविवार को पीएम मोदी ने कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो से बात की और वहां खालिस्तानी अलगाववादियों को लेकर भारत की चिंता से अवगत कराया।
पीएम मोदी तुर्की के राष्ट्रपति से भी मिले। तुर्किये के राष्ट्रपति एर्दोआन ने भारत को यूएनएससी में स्थायी सदस्यता का समर्थन करने की बात कही। जबकि सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान 11 सितंबर को नरेंद्र मोदी से बातचीत करेंगे।
ब्राजील के राष्ट्रपति लुईस ईनास्यू लूला डा सिल्वा ने इस मौके पर उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं के हितों से जुड़े मुद्दों को आवाज़ देने के लिए भारत की तारीफ की।
जी20 शिखर सम्मेलन के समापन सत्र में पीएम मोदी ने ब्राजील को इस समूह की अध्यक्षता के लिए शुभकामनाएं भी दी। ब्राजील आधिकारिक रूप से इस साल एक दिसंबर को जी20 समूह के अध्यक्ष का कार्यभार संभालेगा।
कुल मिलाकर देखा जाए तो भारत में सम्पन्न जी20 की सफलतापूर्वक आयोजन ने भारत की अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा में चार चांद लगा दिए हैं। आनेवाले समय मे भारत अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सरपंच की भूमिका निभाता दिखे तो कम से कम मुझे कोई आश्चर्य नहीं होगा।